Saturday, May 27, 2023

कही अनकही

 


कही अनकही……

कहना बहुत कुछ था आपसे पर कह न सकी।

आपका यूं जल्दी चले जाना मैं सह न सकी।।

रो रो के गुजरती हैं ये रातें, किससे कहूं।

जुदाई का दर्दे आलम कैसे सहूं।।

सोचा था की फुरसत में बैठेंगे, करेंगे ढेर सारी बातें

बिताएंगे छुट्टियां , खोल देंगे दिल की सारी वो गांठें।।

है भगवान कैसी ये मनहूस घड़ी आई

बिना बताए कैसी ये आफत आई

चंद मिनटों में टूट गए सब सपने

ईश्वर से प्रार्थना करने लगे थे सब अपने।।

आंखे खोलो, देखो मुझको, मैं साथ हूं तुम्हारे।

हर पल, हर वक्त, हर मुश्किल में हर खुशी में।

जाओ ना इस दुनिया में मुझे छोड़ के अकेले।

माना की लड़ती हूं, झगड़ती हूं, पर मुहब्बत सिर्फ तुमसे करती हूं।।

हां, आज मुझे कहना है कि तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूं।

तुम नहीं तो समझो मै भी नहीं हूं।।

वो सब झूठ था कि जाओ तुम्हारे बिना मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

पता है तुम नहीं तो अब मुझसे कोई नहीं लड़ता है।

खाली बैठी रहती हूं दिन भर ताकती हूं यहां वहां 

कि आओगे तुम और जोर से आवाज दोगे कि, कहां?

अब न तो कोई आता है न जाता है, न मेरे पीछे पड़ता है कि चलके देख मैंने ये काम कैसे किया है।

और मैं भी अब किसी को नहीं नहीं सुनाती, नाही किसी पर हुकूमत चलाती। अब मैं सुधर गई हूं खुद से सारे काम कर लेती हूं। तुम जो होते तो मन ही मन ही मुस्कराते।

तारीफ तो फिर भी नहीं करते तुम , बल्कि मुझे और चिढ़ाते।

मुझे तुम्हारे साथ बिताए वो हर पल याद आते हैं।

वो घूमना फिरना, खाना पीना, नाचना नचाना सब वीडियो आज भी मुझे लुभाते हैं।

चले जाते कौन रोक सकता है जाने वाले को 

पर एक बार बस मुझसे बात कर लेते, मेरी कही अनकही सब सुन लेते।

मेरी कही अनकही सब सुन लेते। 


अंजना वर्मा 

27.3.23


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