Tuesday, September 8, 2020

काश कि तुम समझ गये होते.............

 काश कि तुम समझ गये होते.............

(@kabhi kabhi ka talent....written in 2008)

काश कि मेरी जिदगीं में खुशियों का सैलाब होता, जो सोचा था ख्यालों में वो हकीकत में होता ।

लुटाते हैं जाँ तुम पर जो तुम समझ गये होते, तो मेरी जिंदगी में भी वो खुशियों के पल आ गये होते।।

न जलाती मैं दिल अपना देखकर औरों की मोहब्बतें, काश कि पूरी हो जातीं मेरी सभी वो चाहतें।

ना रोती मैं मुकददर के लिखे को सोचकर, जो फितरत को अपनी तुमने बदल लिया होता।।

कशमकश में अब जिंदगी हमारी, न मरने की और न जीने की है बेकरारी।

ये जो बंधन है माँ का लिपट गया है हमसे, न छोडा जायेगा बीच राह में भी चाह के।।

अब तो ख्वाब ही बदल लेने की ठान ली है, उमंगो के परों को काटकर जिंदगी जीने की सोची है।

करते जायेंगे हर फर्ज अदा आपकी राहों में, न मांगेगें कोई भरम अब आपकी पनाहों में।।

सारे ख्वाब वो सारे सपने अब बिल्कुल टूट चुके हैं, बदलेंगे दिन हमारे वो चाहत पीछे छोड चुके हैं।

वो कभी- कभी के प्यार में भूल जाना सभी शिकवे, अब न करेंगे ऐसी गलतियों को हम फिर से।।

अब तो बस इन्तजार रहेगा हर उस खुशी का, जब चहकेगा हर पंछी मेरी बगिया का।


अब हर उम्मीदों का सागर तुमसे जोड दिया है, तुम्हारे हर गम मेरे और मेरी हर खुशियों का रास्ता तुम पर मोड दिया है, तुम पर मोड दिया है, तुम पर मोड दिया है...........


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